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सीबीएसई स्कूलों में यूनीफॉर्म व बुक शॉप खोलने की हरी झंडी

जालंधर। स्कूल लॉ एंड बॉयलाज बनाने वाली विभिन्न अथॉरिटीज की ओर से स्कूलों में यूनीफॉर्म व बुक शॉप खोलने पर लगाई तमाम पाबंदी अब ओवर रूल्ड हो गई है। केन्द्गीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानि सीबीएसई ने ताजा जारी एक सर्कुलर में स्कूल प्रबंधन को स्पष्ट किया है कि वह स्टूडैंट्स की सुविधा के लिए स्कूल परिसर के अंदर यूनीफॉर्म व एनसीईआरटी की किताबें सेल कर सकते हैं। इसमें अन्य स्टेशनरी बेचने की भी छूट दी गई है। अप्रैल में जारी इस सर्कुलर को लेकर काफी भ्रम व सशंय बना हुआ था कि स्कूल प्रबंधन किस अथॉरिटी की माने और किस न माने क्योंकि पहले सीबीएसई ने ही एक आदेश जारी करके स्कूलों को स्कूल परिसर में किताबें व यूनीफॉर्म बेचने से मना किया था, परन्तु अब बोर्ड ने एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकों की बिक्री की सहायता हेतु स्कूलों में दुकानें खोलने की इजाजत दे दी है। नए सर्कुलर में यह कहा गया है कि स्कूलों को अपनी वैबसाइट के जरिए सीधे एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकों की खरीद के लिए मांग पत्र देना होगा। विद्यार्थियों मंे पुस्तक वितरण के लिए स्कूल अपनी इमारत में एक दुकान खोल सकेगा। इन दुकानों से स्टेशनरी और विद्यार्थियों की जरूरत का और भी सामान बेचने की इजाजत भी दी गई है। इनोसैंट हाटर््स स्कूल जालंधर के छात्र आशीष के अभिभावक गगनदीप ने माना कि यह एक बेहतर फैसला है क्योंकि बच्चे का सामान स्कूल परिसर में मिल जाए तो ठीक है। अन्यथा हमें खरीद के लिए काफी समय बर्बाद करना पड़ जाता है। वहीं, डिप्स चैन स्कूल के स्टूडैंट शुभांग के पिता राजकुमार ने माना कि इससे काफी लाभ होगा, बशर्तें कीमत वाजिब हो और हमको किसी भी प्रकार से मजबूर न किया जाए। शिव ज्योति पब्लिक स्कूल की छात्रा हर्षिका के पिता सोमदेव ने बताया कि सख्ती होने के बाद उनको बेटी की किताब लेने के लिए काफी दुकानों की चौखट रगड़नी पड़ी। अब यदि किताबें स्कूल में सही दाम पर मिल जाएगी तो हमें 5-1० रुपए फालतू देने में भी कोई हर्ज न होगा। यूनीफार्म के लिए भी प्रबंधन को सही दाम पर बेहतर उत्पाद उपलब्ध करवाना यकीनी बनाना होगा। लाडोवाली रोड निवासी सरकारी अधिकारी राजेश शर्मा ने ताजा फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि स्कूल के अंदर यह सुविधा होना आवश्यक है क्योंकि हमारे जैसे कई लोगों के पास बच्चों की यूनीफॉर्म तथा किताबें खरीदने का भी समय नहीं होता है। उम्मीद है कि स्कूल प्रबंधन इस सुविधा को नाममात्र लाभ तक सीमित रखेंगे।
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